किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं | 2022 Tet Exam Special

kishoravastha ka arth paribhasha visheshta :इस पोस्ट में हम सब किशोरावस्था के बारे में जानेंगे जिसके अंतर्गत किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, विकासात्मक कार्य,और किशोरावस्था के विभिन्न परिभाषाएं विशेष रूप से जो परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा|

किशोरावस्था क्या है? Kishoravastha ka arth

किशोरावस्था का स्तर मनुष्य के विकास के महत्वपूर्ण स्तरों में से एक है जो बचपन के स्तर से वयस्कावस्था तक होने वाले परिवर्तनों में सहायक होता है। यह अवस्था 12 वर्ष की आयु से आरम्भ होती है तथा 18 वर्ष की आयु तक निरन्तर रहती है। इस अवधि में बच्चे में तीव्र तथा महत्वपूर्ण शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक रूपांतरण उत्पन्न होते हैं जैसे यौन अंगों का परिपक्व होना तथा लम्बाई व भार का बढ़ना।

kishoravastha ka arth paribhasha visheshta

किशोरावस्था की परिभाषा (kishoravastha ki paribhasha)

स्टेनली हॉल के अनुसार किशोरावस्था अत्यंत दबाव, तनाव, तूफान और संघर्ष की अवस्था है


ब्लेयर एवं जॉन्स के अनुसार किशोरावस्था प्रत्येक बालक के जीवन में वह समय है जिसका आरंभ बाल्यावस्था के अंत में होता है और समाप्ति प्रौढ़ावस्था की आरंभ होती है


क्रो एवं क्रो के अनुसार,” किशोर ही वर्तमान की शक्ति व भावी आशा को प्रस्तुत करता हैं।” 


एस. ए. कोर्टिस के अनुसार,” किशोरावस्था औसतन 12 वर्ष से 18 वर्ष की आयु तक ही है, जिसके अंतर्गत कामांगों का विकास शारीरिक काम विशेषताओं का प्रकटीकरण लाता हैं।

किशोरावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तनः यौवनारम्भ तथा अवस्थान्तर

किशोरावस्था के दौरान शारीरिक विकास के निम्नलिखित पांच क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जाती हैः

1. लम्बाई

2. भार

3. कंधों की चौड़ाई

4. नितम्ब की चौड़ाई

5. मांसपेशी में सुदृढ़ता

यौनारम्भ के दौरान परिवर्तन विलक्षण होते हैं। एक स्कूल जाने वाला बच्चा कुछ ही वर्षों में पूर्णतः विकसित वयस्क बन जाता है। इन परिवर्तनों का निम्नानुसार वर्गीकरण किया जा सकता है।

1. हार्मोन का परिवर्तन

2. शरीर के आकार तथा समानुपात में परिवर्तन

3. मासपेशियों का बढ़ना व अन्य आन्तरिक परिवर्तन

4. यौन परिपक्वता

लम्बाई व भार में वृद्धि शरीर में चर्बी के पुनर्व्यवस्थन तथा हड्डियों तथा मासपेशियों के अनुपात में वृद्धि से संबंधित है। लड़कों में सामान्यतः यह विकास लड़कियों  की तुलना में  दो वर्ष पहले आरम्भ हो जाता है किन्तु यह लम्बी अवधि के लिए रहता है। शारीरिक समानुपात में  भी परिवर्तन होते हैं। लड़कियों में सामान्यतः नितम्बों में वृद्धि होती है तथा लड़कों के कंधे चौड़े होते हैं। कमर रेखा में अनुपातिक रूप से कमी होती है।

किशोरावस्था-में-शारीरिक-विकास

शरीर में अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ द्वारा हार्मोन के स्राव में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। जनन ग्रन्थि या गोनाड्स क्रियात्मक हो जाते हैं जो यौन संबंध विकास उत्पन्न करते हैं। लड़कों व लड़कियों में  यौन विशेषताएं उत्पन्न हो जाती हैं जिन्हें व्यापक रूप से निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. प्राथमिक तथा

2. गौण



लड़कों में यौन विशेषताओं से संबंध पुरुष यौन अंगों यथा लिंग, वृषण, मुष्क में विकास होता है। लड़कियों में प्राथमिक यौन विशेषताओं में  यौन अंग यथा यूटरस, फलोपियन ट्यूब तथा वक्ष स्थल के विकास शामिल हैं। लड़कियों में अण्डमोधन तथा रजोधर्म तथा लड़कों में वीर्य की उत्पत्ति प्राथमिक यौन विकास हैं जो पुनरुत्पादन क्षमता से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित है


किशोरावस्था के दौरान विकासात्मक कार्य

एक किशोर को वयस्क के रूप में प्रभावशाली रूप से कार्य करने के लिए विशिष्ट अभिवृत्तियाँ, आदतें तथा कौशल प्राप्त करने होते हैं। इन्हें किशोरावस्था के विकासात्मक कार्य कहते हैं। शिशु अवस्था व बचपन के दौरान, उदाहरण के लिए, विकासात्मक कार्यों में ठोस आहार को लेने का अभ्यास, मनोवैज्ञानिक स्थिरता प्राप्त करना तथा सामाजिक व शारीरिक वास्तविकताओं की सामान्य अवधारणाओं का सृजन करना शामिल होता है।


किशोरावस्था-में-विकास-का-सिद्धांत

विकासात्मक कार्य वे कार्य हैं जो कि व्यक्ति के जीवन में एक निश्चित अवधि से संबंधित होते हैं। विकासात्मक कार्यों के सफलतापूर्वक निष्पादन के परिणामस्वरूप खुशी की प्राप्ति होती है तथा बाद के कार्यों में  सफलता प्राप्त होती है, जबकि इनमें विफलता के कारण व्यक्ति में  दुख की उत्पत्ति, समाज द्वारा अस्वीकृति तथा बाद में कार्यों को करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।


किशोरावस्था के विकासात्मक कार्य (Kishoravastha ke vikasatmak Karya)

  • सभी प्रकार के खेल कूदों में अच्छी तरह भाग ले सकने हेतु आवश्यक शारीरिक, गामिक तथा बौद्धिक क्षमताओं का समुचित विकास होना
  • सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कार्यों को अच्छी तरह सम्पादित करने हेतु आवश्यक योग्यताओं तथा शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का समुचित विकास होना
  • कठिन और पेचीदा मानसिक कार्यों एवं प्रक्रियाओं के सम्पादन हेतु आवश्यक मानसिक और संज्ञानात्मक योग्यताओं का विकसित होना
  • स्थूल या सूक्ष्म कार्य व्यापार हेतु सभी तरह के आवश्यक संप्रत्ययों का विकास होना
  • अपने रंग-रूप तथा शारीरिक बनावट से संतुष्ट होकर अपने को अपने सहज रूप में स्वीकार करना सीखना
  • अपने लिंगानुसार अपेक्षित भूमिका निभाना सीखना
  • अपने सभी लड़के या लड़कियों से नवीन सम्बन्ध या सहयोग स्थापित करने में पहल करना सीखना
  • यौन व्यवहार में परिपक्वता अर्जित करना
  • अपनी एक अलग पहचान बनाने की ओर बढ़ना
  • अधिक आत्मनिर्भरता की ओर उचित कदम बढ़ाना
  • वस्तुओं, व्यक्तियों, स्थान और मूल्यों के प्रति आवश्यक स्थावी भाव विकसित होना
  • सामाजिक उत्तरदायित्व, नागरिक कर्त्तव्यों को समझकर जनतांत्रिक जीवन जीने के ढँग सीखना
  • अपने समुदाय, सामाजिक समूह, संस्कृति, प्रदेश और राष्ट्र के प्रति लगाव और समर्पण भाव में वृद्धि होना
  • समाज, देश, धर्म और मानवता के लिए बड़ी से बड़ी कुर्वानी देने को तैयार रहने की भावना पैदा होना
  • अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए आगे के शैक्षणिक तथा व्यावसायिक कोर्स में प्रवेश हेतु अपनी योग्यता तथा क्षमता में वृद्धि करने के प्रति जागरूक रहना
  • अपनी विशिष्ट रुचियों तथा अभिरुचियों की संतुष्टि हेतु आवश्यक कुशलताओं और दक्षताओं का अर्जन करना
  • मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक परिपक्वता की ऊँचाईयों को छूने के लिए प्रयत्नरत रहना

इस प्रकार एक किशोर को कौशलों व क्षमताओं की व्यापक श्रृंखला को विकसित व अधिग्रहित करना होता है। ये विकास के सभी पहलुओं से संबंधित होते हैंः शारीरिक, संवेगात्मक, नैतिक तथा संज्ञानात्मक।


किशोरावस्था की विशेषताएं (kishoravastha ki visheshta)

किशोरावस्था की विशेषताएं (kishoravastha ki visheshta)
यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है और अपने Whatsapp, Telegram पर डेली जॉब अलर्ट, डेली करंट अफेयर्स प्राप्त करना चाहते है तो आप हमारे Gk sansar Social Media जैसे YouTube Channel, Whatsapp Group,Fb,Instagram और Telegram से जुड़ें। 
Important Video देखने के लिए YouTube चैनल से जुड़ेSubscribe
हमें Instagram पर फॉलो करेंFollow
हमारे Telegram चैनल से जुड़ेJoin

इसे भी पढ़े :2022 Railway Group D GK Questions in Hindi | Free PDF Download

2 thoughts on “किशोरावस्था का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं | 2022 Tet Exam Special”

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
Best Wordpress Adblock Detecting Plugin | CHP Adblock
error: Content is protected !!