आज के इस लेख में हम लोग बिहार का इतिहास के बारे में जानेंगे इसके अंतर्गत बिहार का प्राचीन इतिहास के सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे जो लोक सेवा आयोग परीक्षाओं से लेकर अन्य परीक्षाओं के दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे|
बिहार का इतिहास | Bihar History in Hindi
बिहार के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बिहार सदियों तक प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास का ‘गर्भगृह’ रहा है।
बिहार का वर्णन हमारे दो महान ग्रंथों रामायण एवं महाभारत में किया गया है।
ऋग्वेद में बिहार क्षेत्र के लिए कीकट एवं त्रात्य शब्द का प्रयोग हुआ है।
ऋग्वेद के अनुसार आयों के आगमन से पूर्व बिहार में सभ्यता-संस्कृति का विकास हो चुका था।
बिहार उत्तर-पाषाण युग में सांस्कृतिक रूप से विकसित अवस्था में था। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोग गुफाओं से निकलकर बाहर आये, कृषि कार्य शुरू हुआ तथा पशुओं को लोग पालने लगे। लोग इस समय तक मृद्भांड बनाना, खाना पकाना और संचय करना आदि सीख गये थे।
मुंगेर के भीमबाँथ से आरंभिक प्रस्तर युगीन उपकरण (औजार) मिले हैं।
गया के जेठियन से प्रारंभिक प्रस्तर युगीन (1,00 000 ई० पू०) पत्थर के कुल्हाड़ी, चाकू आदि मिले हैं। इस काल में लोग पशु-पक्षियों का शिकार करते और फल-फूल, कन्दमूल से जीवन व्यतीत करते थे।
बिहार में पुरापाषाण कालीन संस्कृति के साक्ष्य मुंगेर और नालंदा जिलों में उत्खनन से प्राप्त हुए हैं।
नवपाषाण कालीन संस्कृति के साक्ष्य बिहार में चिरांद (सारण) और चेचर (वैशाली) से प्राप्त हुआ है।
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चिरान्द से प्राप्त नवपाषाण काल के साक्ष्य के रूप में चमकदार पाषाण उपकरण, अस्थियों तथा सींगों के बने उपकरण तथा मिट्टी के बर्तन के टुकड़े प्राप्त हुए थे
ऋग्वेद में कीकट क्षेत्र के अमित्र शासक प्रेमगंद की चर्चा हुई है
अथर्ववेद में अंग एवं मगध का उल्लेख मिलता है| यजुर्वेद में सबसे पहले विदेह राज्य का उल्लेख मिलता है
बाल्मीकि रामायण में मलद एवं करुना शब्द का प्रयोग संभवत बक्सर क्षेत्र के लिए हुआ है| राम ने यहां राक्षसी ताड़का का वध किया था
वायु पुराण में गया क्षेत्र में असुरों के राज होने की चर्चा की गई है
उत्तर बिहार में पूर्व आर्य संस्कृति के बहुत कम प्रमाण मिलते हैं, जबकि दक्षिण बिहार के गया, पटना, बक्सर आदि क्षेत्र में अधिक प्रमाण मिलते हैं
लगभग 800 ईसा पूर्व में रचित शतपथ ब्राह्मण, विदेह ,माधव और उसके पुरोहित गौतम राहु गण के सरस्वती नदी के तट से आगे बढ़ते हुए बिहार की सदानीरा नदी
(गंडक नदी) की तट पर पहुंचने का विवरण देता है
विदेह राजवंश की शुरुआत इक्ष्वाकु के पुत्र निमि विदेह से मानी जाती है, जो सूर्यवंशी थे |
बुद्ध के जन्म से पूर्व लगभग छठी शताब्दी ई.पू. में भारतवर्ष 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था,जिसका उल्लेख बौद्ध ग्रन्थ के “अंगुतरनिकाय” में मिलता है |
भारत के सोलह महाजनपदों में बिहार में स्तिथ महाजनपद
- अंग जिसकी राजधानी चंपा (वर्तमान भागलपुर एवं मुंगेर)
- मगध जिसकी राजधानी राजगृह/गिरिब्रज (दक्षिणी बिहार)
- वज्जि जिसकी राजधानी वैशाली (उतरी बिहार) बिहार में स्तिथ थे |
अंग महाजनपद का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है| यह क्षेत्र अनार्यो का था |
ब्रहद्रत यहाँ का अंतिम शासक था जिसे मगध के शासक बिम्बिसार ने युद्ध में हराकर मार डाला और अंग को अपने राज्य में मिला लिया था |
बिहार में वैदिक संस्कृति का प्रसार मुख्यतः उत्तर वैदिक काल में ही हुआ
मगध साम्राज्य
अथर्ववेद में अंग एवं मगध का उल्लेख मिलता है| यजुर्वेद में सबसे पहले विदेह राज्य का उल्लेख मिलता है
हर्यक वंश का वास्तविक संस्थापक बिम्बिसार था | बिम्बिसार ‘श्रेणिक’ के उपनाम से जाना जाता था |
बिम्बिसार का राज्याभिषेक 544 ई.पू. में हुआ था |
मगध राज्य की पहली राजधानी गिरिब्रज(राजगीर) था |
जीवक बिम्बिसार के दरबार में जाने माने चिकित्सक और राजवैध थे | महात्मा बुद्ध के अस्वस्थ्य होने पर बिम्बिसार ने जीवक को उनकी सेवा के लिए भेजा था | अवन्ती के शासक चण्डप्रदयोत को पीलिया रोग होने पर बिम्बिसार ने उनकी चिकित्सा के लिए जीवक को उज्जैन भेजा था |
बिम्बिसार के बाद मगध का शासक आजतशत्रु हुआ,जिसे ‘कुणिक’ उपनाम से भी जाना जाता है | वह अपने पिता की तरह साम्राज्यवादी था |
अजातशत्रु राजगीर से दूर गंगा और सोन के संगम पर पाटलिग्राम में एक दुर्ग का भी निर्माण किया ,जो बाद में मगध की नई राजधानी बना |
अजातशत्रु अपने पिता का कैद कर उनकी हत्या कर दी थी |
बौद्ध ग्रन्थ महावंश के अनुसार बिम्बिसार ने पंद्रह वर्ष की आयु में सिंहासन प्राप्त किया और लगभग पच्चास वर्ष (544-492 ई.पू.)तक शासन किया |
बिम्बिसार और अजातशत्रु दोनों महात्मा बुद्ध के समकालीन थे |
जैन धर्म भगवती सूत्र के अनुसार,अजातशत्रु ने अपने कूटनीतिज्ञ मंत्री वस्सकार वर्षाकर की सहायता से वज्जि संघ के सदस्यों में फुट डालकर उसकी शक्ति को कमजोर कर दिया और वैशाली को मगध साम्राज्य में मिला लिया |
मगध और वैशाली में लगभग 16 वर्षो (484-468 ई.पू) तक संघर्ष चला था |
अजातशत्रु का बेटा एवं मगध साम्राज्य का उतराधिकारी उद्द्यन ने मगध की राजधानी ,राजगीर से पाटलिपुत्र स्थानांतरित की थी |
हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक था |
मगध के पड़ोस में स्तिथ वज्जि 8 कुलों का एक संघ था ,इनमे विदेह ,ज्ञात्रिक,लिच्छिवी,कात्रिक एवं वज्जि महत्वपूर्ण थे |
वज्जि संघ का लिच्छिवी गणराज्य इतिहास में ज्ञात प्रथम गणतंत्र था |
हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदशक को पदच्युत करके काशी के गवर्नर शिशुनाग ने शिशुनाग वंश (412-345 ई.पू.) की स्थापना की थी |
शिशुनाग वंश द्वारा मगध की राजधानी वैशाली में स्थापित किया गया था |
नंद वंश की स्थापना महापद्मनंद ने की थी। भारतीय इतिहास में पहली बार एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना हुई जो कुलीन नहीं था तथा जिसकी सीमाएं गंगा के मैदानों को लांघ गई
पुराणों में महापद्मनंद को सर्वक्षत्रान्त्रक एवं एकराट जैसे उपाधियों से विभूषित किया गया है |
नन्द वंश का अंतिम शासक धनानंद के काल में (325 ई.पू.) सिकंदर का भारत पर आक्रमण हुआ था |
मौर्य काल में बिहार (322-184 ई.पू)
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